tag:blogger.com,1999:blog-3156553994152117104.post4718474729859986746..comments2022-11-27T01:00:47.888-08:00Comments on अर्धसत्य: निर्बल के बलराम और रक्षा का वचनUnknownnoreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3156553994152117104.post-78847876600073307332008-08-29T05:45:00.000-07:002008-08-29T05:45:00.000-07:00दीदी,आप भी सभी के दिल में हैं और हाँ सिर्फ़ दिल मे...दीदी,<BR/>आप भी सभी के दिल में हैं और हाँ सिर्फ़ दिल में ही नही हैं अपितु एक आदर और श्रद्धा के साथ हैं. रक्षा बंधन पर मैं भले ही नही था मगर आप के सभी दुःख और सुख में आपके साथ हूँ. आखिर हम सब एक परिवार जो बन गए हैं.<BR/>चरण वंदन <BR/>रजनीशAnonymousnoreply@blogger.com