
किताबी शिक्षा अधिक न होने के बाद भी बेहद ऊंची सोच, उच्च आदर्श और स्वच्छ विचारों के धनी हैं श्री दीनबंधु भोलानाथ प्रसाद। बिहार के रोहतास जिले के एक गांव के रहने वाले तीस वर्षीय दीनबंधु जी ने दसवी कक्षा तक पढ़ाई करी है घर की माली हालत ज्यादा अच्छी न होने के कारण ज्यादा पढ़ न सके और नौकरी के लिये मुंबई आना पड़ा, मध्यरेल में प्वाइंट्समैन के पद पर कार्यरत दीनबंधु जी के तीन बेटे हैं। जब मैंने इनसे लैंगिक विकलांगो के विषय में बात करना शुरू करी तो उन्होंने जो विचार दर्शाए वे अत्यंत आशास्पद प्रतीत होते हैं कि भविष्य सुखद होगा। इनका मानना है कि माता-पिता स्वयं ही रूढ़ियों में जकड़े रहते हैं इसीलिये किसी लैंगिक विकलांग बच्चे की पैदाइश पर अकुला जाते हैं जबकि मां ने उतनी ही प्रसव पीड़ा झेली है जितनी कि सामान्य बच्चों के जन्म में होती है फिर क्यों उसका आंचल छोटा पड़ जाता है,क्यों वह मां अपने जने बच्चे को भले ही दुःखी हो कर, रोकर ही सही लैंगिक विकलांगों की टोली को सौंप देती है? दीनबंधु भरपूर आक्रोश में इस बात को कहते हैं कि यदि आप कुतिया कि पिल्ले को उठाने की कोशिश करें तो वह आपको एक पशु होकर भी अपना बच्चा नहीं ले जाने देती और भौंक कर, काट कर अपना विरोध जता देती है लेकिन एक इंसानी माता कैसे सहन कर लेती है कि कोई उसके बच्चे को ले जाए। मांओ की ममता लिंग पर टिकी सड़ी परंपरा के आगे बौनी हो जाती है। चिढ़ होती है उन बुद्धिजीवियों से जो महिला विमर्श पर सिर फोड़े रहते हैं और लैंगिक विकलांग बच्चे की बात आते ही सांप सूंघ जाता है इनकी बुद्धि को। सब को बदलाव की पहल करनी होगी कि हम अपने बच्चों से इतना प्रेम करें कि उन्हें किसी को देने से इन्कार कर सकें और यदि कोई जबरन उस बच्चे को ले जाए तो कानून का सहारा लें। क्या आज तक किसी माता-पिता ने पुलिस में इस बात की रिपोर्ट दर्ज कराई है कि हिजड़ों की टोली उनका बच्चा ले गई? दीनबंधु जी चाहते हैं कि उनका ये संदेश मांओ तक पहुंचे जिन्होंने उन बच्चों को भी नौ माह कोख में पाला होता है वे अपने बच्चों को रोकें इस नर्क में जाने से...........
आज दीनबंधु जी से बात करके लग रहा है कि ये तो विचार का पहला धमाका है जो कि एक चैन रिएक्शन के रूप में शुरू हो जाएगा, आज एक है कल सौ, हजार, लाख और करोड़ होते देर न लगेगी। मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि अगर कुछ करना है तो दीनबंधु जी जैसी सोच रखने वाले कुछ लोग दुनिया में भेज दे ताकि मेरा काम सरल हो जाए।