गुरुवार, 22 जनवरी 2009

बाबूजी का वात्सल्य: मनीषा नारायण को आशीष सहित भेजी पुस्तकें

बुद्ध की कहानियां,भारतीय वन्य जीव,पौराणिक कहानियां,परमाणु से नैनो प्रौद्योगिकी तक : बाबू जी ने भेजी पुस्तकें बचपन में ले जाती हैं बाबूजी के हस्तलिखित आशीर्वाद उनकी मानस पुत्री मनीषा नारायण के नाम : शब्दों से जुड़ती स्नेह-रज्जु
आज मेरे जीवन का एक बहुत बड़ा खुशियों भरा दिन है, मेरा मुहिम एक नए आयाम को छू रहा है। हमारे मार्गदर्शक गुरुवर्यसम आदरणीय शास्त्री श्री जे.सी.फिलिप जी ने मनीषा दीदी के लिये कुछ पुस्तकें भेजी हैं अपने हस्तलिखित संदेश के साथ ; जो कि मुझे इस बात का एहसास बड़ी शिद्दत से दिलाने के लिये काफ़ी है कि अब वाकई मेरे प्रयास के रंग में एक और प्रकाश की पट्टी जुड़ गई है और इसी तरह इस मुहिम में एक सप्तरंगी इंद्रधनुष उतर आयेगा, सफ़लता मिलेगी जब सारे बच्चे सम्मान से सिर उठा कर जी सकेंगे, समाज में सहज भाव से स्वीकारे जाएंगे, समान संवैधानिक अधिकार पा सकेंगे.........। मनीषा दीदी को पुत्रीवत स्वीकारने वाले हम सबके बाबूजी के द्वारा मुझसे फोन पर बात कर लेना भर मुझमें नयी ऊर्जा का संचार देता है, उनकी फोन पर दूर से आती वात्सल्य और करुणा में डूबी आवाज कई-कई दिनों से लगातार जागे रहने की मेरी शारीरिक थकान को न जाने कहां गायब कर देती है और मैं फिर जुट जाता हूं अपने यायावरपन में अपने बच्चों का हित तलाशने के लिये। जब मैंने मनीषा दीदी को बताया था कि बाबूजी आपके लिये पुस्तकें भेजने वाले हैं तो खुशी और आंसू का एक अजीब सा भाव उनके चेहरे पर मैंने देखा था और अब यकीन गहरा हो चला है कि हम सब के समेकित प्रयत्नों से एक दिन बस खुशियां ही खुशियां होंगी।

2 टिप्‍पणियां:

Dileepraaj Nagpal ने कहा…

bhavuk kar diya aapne...

Shastri JC Philip ने कहा…

प्रिय डा रूपेश, लम्बे सफर के बाद वापसी पर अपन इष्ट चिट्ठे देखने में कुछ देर हो गई. आज देखा तो यह आलेख एकदम मेरी नजर में आया.

मुझे आसमान तक उन्नत करके प्रदर्शित करने वाले इस आलेख के लिये आभार.

मनीषा के लिये अभी कई पेकेट तय्यार हैं और एक एक करके आते जायेंगे.

यह हमारी जिम्मेदारी है कि समाज के हर तबके के सशक्तीकरण के लिये यत्न करें.

यदि हम यत्न करेंगे तो फल देने वाल चुप नहीं रहेगा.
सस्नेह -- शास्त्री

 

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