बहुत प्यार करती हूँ आपसे। और ह्रदय में सम्मान है आपके लिए। मुझे आज स्वयं पर शर्म आ रही है की मैंने देर क्यूँ की । जो पहले करना था वो कैसे छूट गया मुझसे। दीदी मुझे क्षमा करिए और कुछ वक़्त दीजिये मुझे ।
उफ्फ ये स्त्री पुरुषों वाली खामियां तृतीय वर्ग में भी आ गईं.. कभी फिल्म 'सड़क' में इस तरह का होते देखा था तो लगा था कि ये सब सिर्फ कहानियों की बातें हैं.. पर अब लगता है कि सब सच है.
2 टिप्पणियां:
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मनीषा दीदी,
बहुत प्यार करती हूँ आपसे। और ह्रदय में सम्मान है आपके लिए। मुझे आज स्वयं पर शर्म आ रही है की मैंने देर क्यूँ की । जो पहले करना था वो कैसे छूट गया मुझसे। दीदी मुझे क्षमा करिए और कुछ वक़्त दीजिये मुझे ।
आपसे बेहद प्रेम करने वाली ,
आपकी अपनी दिव्या।
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उफ्फ ये स्त्री पुरुषों वाली खामियां तृतीय वर्ग में भी आ गईं.. कभी फिल्म 'सड़क' में इस तरह का होते देखा था तो लगा था कि ये सब सिर्फ कहानियों की बातें हैं.. पर अब लगता है कि सब सच है.
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