बुधवार, 15 अप्रैल 2009
एक बार फिर रुला दिया मीनाक्षी को.......
पत्रकारिता ने एक बार फिर रुला दिया मीनाक्षी को और सवालों का अनसुलझापन जैसा था वैसा ही है इतने बड़े आयोजन से सिर्फ़ लाभ हुआ उन बौद्धिकता का ढिंढोरा पीटने वालों को जिन्होंने लैंगिक विकलांगता को मात्र एक "आईटम" बना कर जुगाली करना शुरू करा है। इस पोस्ट में देखिये.....
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