शनिवार, 6 सितंबर 2008

लैंगिक विकलांगों का गणेशोत्सव और हिंदू-मुस्लिम एकता


आजकल महाराष्ट्र में हर तरफ गणपति महोत्सव की धूम मची हुई है। इस देश के लोगों की फ़ितरत है कि कितनी भी समस्याएं हों फ़िर भी उत्सव मनाने के लिये अतिरिक्त ऊर्जा जगा ही लेते हैं। अपने अस्तित्त्व और नागरिकता के सवाल से जूझते हुए लैंगिक विकलांग समाज में भी यही बात है क्योंकि आखिर हैं तो ये भी शुद्ध भारतीय और इंसान भी। इसी के चलते मुंबई के उपनगर भिवंडी में गायत्री नगर क्षेत्र के कुछ लैंगिक विकलांग मित्रों ने इस बार एक मित्रमंडल का गठन कर पांच दिवसीय गणपति स्थापना करी। विदित हो कि इस क्षेत्र में बहुत सारे लैंगिक विकलांग रहते हैं। इस "किन्नर ग्रुप औफ़ गायत्रीनगर" नामक मित्र मंडल में शामिल लोगों में प्रमुख रानी, टीना, रोशनी, चंदा, नगीना, शबनम, सोनी, अंजली, उबाली आदि लैंगिक विकलांग हैं। यह इन लोगों का प्रथम गणेशोत्सव है। इसके लिये ये लोग गायत्रीनगर से पांच किलोमीटर दूर कुंभारवाड़ा से गणेश भगवान की मूर्ति को पूरे धूमधाम और उत्साह उल्लास से नाचते-गाते हुए लेकर आये। इस दौरान जो एक विशेष जिक्र करने वाली बात है कि चूंकि रमज़ान का महीना चल रहा है इस वजह से इस पांच किलोमीटर लंबे रास्ते में कई जगह पर इलाके के मुस्लिम भाईयों ने इन गणे भक्त लैंगिक विकलांगो का शरबत पिला कर स्वागत करा और स्थापना के स्थान तक साथ आकर इन लोगों का उत्साह बढ़ाया। कुल मिला कर यह उत्सव गणेशोत्सव के साथ ही हिंदू-मुस्लिम एकता का ही माहौल प्रस्तुत कर रहा है।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

हमारे लैंगिक विकलांग बिरादरी के लोग राष्ट्र एकता का जो अद्भुत कार्य किया वो वाकई कबीले तारीफ़ है, देश को इस से सबक लेना चाहिए, इन तमाम बहनों को सुभेक्षा

 

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