क्या मैं कोई बड़ी हस्ती हो गयी हूं जो लोग मेरे साथ ऐसा व्यवहार करने लगे हैं? जब से मैं ब्लागिंग के द्वारा अपनी समस्याएं लिख रही हूं मेरे दिल का बोझ तो उतर रहा है ये सच है। कल जब मैं भायखला स्टेशन पर ट्रेन में मांगने के बाद घर जाने के लिये अपनी बाकी बहनो रम्भा अक्का और सोना अक्का वगैरह का इंतजार कर रही थी तो देखा कि एक कोने में खड़ी एक युवती अपनी पांच साल की बेटी के साथ सुबक-सुबक कर रो रही है और लोग उसके अगल-बगल से गुजर रहे हैं लेकिन कोई नहीं पूछता कि क्या हुआ क्यों रो रही हो....। मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने पास जाकर पूछ लिया कि बहन क्या समस्या है क्यों रो रही हो क्या मैं तुम्हारे लिये कुछ कर सकती हूं? इस पर उसने सिर उठा कर मुझे देखा तो अपलक दो मिनट तक देखती ही रह गयी फिर जोर से लिपट कर रोने लगी। दिलासा देने के बाद चुप कराने पर उसने सीधे मेरा नाम लेते हुए बात शुरू करी कि मनीषा दीदी मेरे पति ने दूसरी शादी कर ली है और मुझे घर से निकाल दिया है मेरे पास कुछ नहीं है और वो आदमी कहता है कि बिना तलाक दिये वह दूसरी या ग्यारह तक शादियां कर सकता है इस्लाम में जायज़ है, पीटता है खाना नहीं देता मैं ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं हूं दसवी पास हूं मेरा पति डाक्टर है उसका नाम अज़हर है वगैरह वगैरह............। वह लड़की बोलती जा रही थी मैं अवाक सी ये सोच रही थी कि वो मुझे कैसे जानती है? फिर उसने ही बताया कि उसने मुझे इंटरनेट पर भड़ास में देखा था और फिर तब से अर्धसत्य देख रही है और पहचानती है। वो मुझसे ऐसा व्यवहार कर रही थी जैसे कि मैं कोई बहुत बड़ी हस्ती हूं और उसकी समस्या चुटकी बजाते ही हल कर दूंगी।
तब तक मेरी बहनें आ गयी और मैं उस लड़की को बच्ची के साथ मुनव्वर आपा के घर भेज आयी हूं। आप सब बताइये कि इस विषय पर मैं क्या करूं? क्या अर्धसत्य पर उसकी कहानी लिखूं कुछ होगा? न्याय मिलेगा?ब्लाग का इस दिशा में कैसे प्रयोग कर सकती हूं?अभी वह हमारे सम्पर्क में मुनव्वर आपा के साथ ही है।
सोमवार, 16 फ़रवरी 2009
मैं कोई बड़ी हस्ती हो गयी हूं जो लोग मेरे साथ ऐसा व्यवहार करने लगे हैं?
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
4 टिप्पणियां:
उसके पति को पकडिये और ऐसी हालत कीजिये की वो शादी करने लायक ही न रहे1 उस लड़की का सवाल है तो उसे इतना पक्का कर दीजिये कि किसी दूसरे कि जरूरत महसूस न हो1 बहुत मुश्किल है, लेकिन जिस दिन औरत ख़ुद को मजबूत बना लेगी और आदमी को ये महसूस करवा देगी कि उसके बिना जिंदगी ख़त्म नही हो जाती, उस दिन हवा कुछ और रुख लेगी1 किन्नरों से सभी डरते है तो आप अपनी बहनों के साथ मिलकर उस आदमी को एक बार ऐसा डरा दीजिये कि दूसरी पत्नी के साथ तो ऐसा न कर सके1 इस्लाम अगर ग्यारह शादियाँ करने के बाद किसी के साथ अन्याय को मंजूरी देता है तो ये ग़लत है1 धर्म किसी का दिल दुखाने का नाम नही है1 खैर हम बातें करने के अलावा और कर भी क्या सकते है1 एक दुआ उस लड़की के लिए हमारी तरफ़ से भी1 काश भगवान् हर दुआ को सुनने लगे...
चिट्ठाकारी जरूर हर व्यक्ति को कुछ पाठक देते हैं. यदि चुने विषयों पर सशक्त चिट्ठाकारी की जाये तो चिट्ठाकार जनप्रिय भी हो जाता है.
मनीषा, तुम ने जो कुछ किया उसके कारण ही लोग तुम को जानने लगे हैं. अच्छी बात है.
दिलीप नागपाल ने सुझाव बडा दिलचस्प दिया है, लेकिन तुम कानून अपने हाथ में न लेना. ऐसा किया तो तुम्हारा सारा सशक्तीकरण आंदोलन धरा रह जायगा.
अपने शहर की जनसेवी संस्थाओं से मदद मांगना बेहतर रहेगा.
सस्नेह -- शास्त्री
शास्त्री जी की सलाह संतुलित और उस दिशा में पहल की जानी चाहिए.
manisha ji aapne sahi kaha ki kya sirf blog par kisi ki samasya par likhne se kuch hoga ? hum blogging apni khushi aur apni bhavnayein vyakt karne ke liye karte hain par isse hum doosro ka kitna bhala kar paa rahe hain ye sochne ki baat hai
एक टिप्पणी भेजें