अभी आप लोग सब खूब अच्छे मूड में रह कर कोई होली का बात कर रहा है और कोई पुराने दोस्त लोगों कि पर हम लोग की तो समस्याएं ही खत्म नहीं होती हैं । NGO चलाने वाले लोग खूब दिखावा करते हैं कि उन्होंने हमारे जैसे लैंगिक विकलांग लोगों को काम दिया लेकिन इस आड़ में वो लोग फ़ारेन फ़ंड्स और डोनेशन की मलाई छानते हैं । हम लोग महीना हर तक रेडलाइट एरिया में जा-जाकर कंडोम बांटते हैं ,ब्लड सैंपल कलेक्ट करने में हैल्प करते हैं और महीने के आखिर में ढ़ाई-तीन हजार रुपए पकड़ा देते हैं ये कह कर कि ये पगार नहीं बल्कि मानधन है । सब शोषण करते हैं तो ये भी कर रहे हैं ये मौका क्यों छोड़ेंगे लेकिन एक बात कि अगर वेश्याएं,भिखारी,हिजड़े समाप्त हो जाएं तो ये सारे NGO चलाने वाले भीख मांगने लगेंगे । मैं चंद्रभूषण भाई और यशवंत सर को थैंक्स कहना चाहती हूं जिन्होंने डा.रूपेश भाई से बात करके हमारी तकलीफ़ को समझा ।
नमस्ते
गुरुवार, 6 मार्च 2008
लैंगिक विकलांग लोगों को काम दिया लेकिन.....
लेबल:
डा.रूपेश,
फ़ारेन फ़ंड्स,
रेडलाइट एरिया,
लैंगिक विकलांग
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