सोमवार, 10 मार्च 2008

मैं कोई बड़ा ग्राहक हूं

आज पहली बार किसी ऐसे मुद्दे पर लिखने की कोशिश करती हूं कि जो शायद मेरे जैसे लैंगिक विकलांग लोगो से संबंधित नहीं है । कल मैं रेड लाइट एरिया में वीकली रिपोर्ट क्लेक्ट करने गयी थी । हमारे डा. भाई के बार बार बोलने पर उनका दिया हुआ खादी का कुर्ता पैजामा पहन कर गयी । मुझे साड़ी पहनने की आदत है तो कुछ और पहनना अजीब लगता है । उधर जाने पर एक घटना हुई जो आप बड़ी-बड़ी बाते बताने वालों के लिये दिलचस्प न हो क्योंकि मैं दुनिया देश और समाज की बड़ी बातों के बारे में सोच ही नहीं पायी कभी भी । मेरे उधर पहुंचने पर एक छोटा बच्चा जो मुझे नहीं पहचानता था लेकिन सुन्दर सा भगवान बालगोपाल की तरह सा ,तो मैंने उसे गोद में उठा लिया और प्यार किया एक टाफ़ी भी दी खाने को तो अगले ही पल वह बच्चा मेरी गोद से कूद कर मां के पास भागा यह चिल्लाता हुआ कि मम्मी कोई बड़ा ग्राहक आया है । ये बात शाय्द पहले भी सुनी होगी पर ध्यान ही नहीं गया था लेकिन आज खादी के कुर्ते ने जहां मुझे यह बात सुनने के लिये कान दिये तो दूसरी ओर उस बच्चे को मेरे बारे में ऐसी सोच कि मैं कोई बड़ा ग्राहक हूं जो उसके लिये टाफ़ी भी लाया हूं । यह बच्चा कल बड़ा होकर परिवार,समाज और देश को क्या देगा आप बड़े मुद्दों पर बात करने वाले लोग सोचिये ,मैंने तो वो कपड़े ही समुन्दर की खाड़ी में फेंक दिये लेकिन उसकी सोच कैसे बदलूं उन कपड़ों के लिये.......................
नमस्ते ,जय भड़ास

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

Manisha ji, maine aapka blog padha hai. main jis cheej ki talash main tha wo mil rahi hai. mujhe galat mat samajhna, main ek lekhak hoon or aap par ek kahani likhna chahta hoon. main chata hoon ki is kaam main aap meri madad karen. kya aap mujhe apna mobile number bhej sakti hain? mera gmail ID hai.
aasra786@gmail.com
ummid hai aap meri madad zaroor karengi...

 

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