आज मुझे मेरे सारे भड़ासी भाईयों और यशवंत दादा के साथ रजनीश की बहुत याद आयी है वैसे तो ये सब मेरे दिल में हैं....
गुरुवार, 21 अगस्त 2008
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हम अधूरे इंसान अगर सच भी बोलें तो लोग कहते हैं उसे "अर्धसत्य"
आज मुझे मेरे सारे भड़ासी भाईयों और यशवंत दादा के साथ रजनीश की बहुत याद आयी है वैसे तो ये सब मेरे दिल में हैं....
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1 टिप्पणी:
दीदी,
आप भी सभी के दिल में हैं और हाँ सिर्फ़ दिल में ही नही हैं अपितु एक आदर और श्रद्धा के साथ हैं. रक्षा बंधन पर मैं भले ही नही था मगर आप के सभी दुःख और सुख में आपके साथ हूँ. आखिर हम सब एक परिवार जो बन गए हैं.
चरण वंदन
रजनीश
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