गुरुवार, 4 दिसंबर 2008
ब्लागिंग से बदलाव की शुरूआत हो गयी है
आज मनीषा बहन ने मुझे बातों बातों में बताया कि उन्हें एक भाई ने एक मेल करा था जिसमें उस युवा भाई ने लिखा था कि मैं चाहता हूं कि विवाह के बाद मेरा कोई बच्चा लैंगिक विकलांग पैदा हो और मैं उसे खूब लिखा पढ़ा कर डाक्टर, इन्जीनियर या वकील बनाऊं ताकि समाज के सामने एक उदाहरण रख सकूं कि हमारे ये बच्चे किसी से कम नहीं होते हैं। मेरी आंखों में इस भावना के प्रति आदर से कुछ अन्जाने से आंसू आ गये। याद आये मुझे भाई दीनबन्धु जो कि ऐसी ही सोच रखते हुए किसी लैंगिक विकलांग बच्चे को सहर्ष गोद लेना चाहते हैं। अब लग रहा है कि शिक्षा के मार्ग से ब्लागिंग तक आने से बदलाव हो रहे हैं।
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7 टिप्पणियां:
रम्भा अक्का,बदलाव तो आयेगा ही... हमारा हर संभव प्रयास इसी दिशा में है कि परिस्थितियां अनुकूल हो जाएं।
इंशा अल्लाह बदलाव जरूर होगा और जो शुरूआत हुई है वो बहुत सुंदर है।
"अब लग रहा है कि शिक्षा के मार्ग से ब्लागिंग तक आने से बदलाव हो रहे हैं।"
यही तो मैं आप लोगों से बार बार कहता आया हूँ. समाज की सोच को प्रभावित करें -- यह एकदम नहीं होगा. लेकिन रुकी गाडी काफी धक्के लगने के बाद चल देती है तो उसे कोई रोकन नहीं सकता.
लिखते रहें. बदलाव जरूर आयगा
सस्नेह -- शास्त्री
राम्भाजी
आप लोगों ने जो मसल जलाई हैं उसका प्रकाश अब इस दकियानूसी समाज के अंधेरे को चीर ने लगा हैं. ............ प्रयास जरी रखें कारवां अवश्य बनेगा.
भाई दीन्भंदु जैसे भाइयों की इस समाज में कमी नही हैं. बस कमी इनको दुन्दने की हैं.
भाई दीनबंधु को मेरा सलाम................
राजीव
मैं क्षमा प्रार्थी हूँ!......कुछ कहने के पहले ही माफ़ी इसलिए मांगना चाहूँगा, क्युकी मैंने अभी तक मन में आप लोगो के प्रति कई भ्रांतियां पाल रखी थी.......
ऐसा नही है की मैं आपसे घृणा करता था. मैं पहले भी आपका एक मनुष्य की तरह सम्मान करता था, परन्तु मुझे लगता था, की ये लोग तो सिर्फ़ ताली पीट-पीट कर गाते बजाते रहते है, पढ़ाई लिखाई से तो इनका दूर दूर का वास्ता नही है....... (शायद मेरी भावनाएं सुनकर आपको बुरा लगे, परन्तु मैं वही सच कह रहा हूँ, जो पहले मेरे मन में था)
आपके इन blog को पढ़ कर मुझे बड़ी शर्मिंदगी हुई...........यह blog पढ़कर मुझे पता चला की आपकी भावनाएं कितनी कोमल, और विचार कितने उचें हो सकते है.........आपके इस blogs ने अज्ञानता की पट्टी मेरे आँखों से खोल दी.......जिस व्यक्ति ने भी आपको इस कार्य के लिए प्रेरित किया है, वह धन्य है!
आप सभी इस blog में लिखने के लिए बधाई के पात्र है, और निवेदन है की आप सभी ऐसे ही अच्छे विचार लिखते रहे, और मेरे जैसे लोगो की आँखों से पट्टियाँ खोलते रहे........
Achha hai, lekin mera manna hai ki aisi "prayer" kabhi na poori ho, kyunki is tarah ki duniya me kabhi bhi badlav nahin aaega aur agar wo bachha doctor ya engineer ban bhi gaya to bi log usko "tiraskar" ki nazaron se dekhenge.
Rahi baat badlaav ki to badlaav to aate aate aaega, lekin us "transition" me jo bachhe "inferior" feel karenge unka to jeevan "affect" ho jaaega, to insha-allah aisi dua ki mera bachha ek eunuch ho kabhi bhi poori na ho.
Jai Hind Jai Bharat :)
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