बुधवार, 2 अप्रैल 2008
मेहरबानों, बेनामी रहकर प्रेम दिखाने से अच्छा है सामने आएं
मैं हमेशा से इस बात पर चकित रहता हूं कि क्या बात है जो लोग न दिखने वाले अस्तित्त्व यानि समाज से भयभीत रहते हैं। जब कल मुझे मनीषा दीदी ने बताया कि उनके लिखने से कई लोगों के नजरिये में बदलाव आ रहा है लेकिन आश्चर्य तो इस बात का है कि जब वे लोग इंटरनेट की आभासी संसार में बेनामी रह कर करुणा और प्रेम दर्शाते हैं तो क्या सचमुच में अभी उनमें इतना प्रेम उपज पाया है लैंगिक विकलांग लोगों के प्रति के वे सभ्य समाज में हमारा स्वागत सच्चे दिल से कर पाएंगे? घोर आश्चर्य इस बात का भी है कि जो करुणावान सज्जन मनीषा दीदी के ऊपर कहानी लिखना चाहते हैं भी न जाने किस कारण से वे भी बेनामी ही हैं,आप सभी लोगों से हाथ जोड़ कर प्रार्थना है कि यदि दिल से जुड़ रहे हैं तो मेहरबानी करके सामने आएं जैसे कि श्री सुनील दीपक जी हैं । धन्यवाद....
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सुनील दीपक
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1 टिप्पणी:
Mr. Dr. Rupesh Shrivastava. maaf kijiye main naam nahin chupa raha tha, darasal mujhe with name post bhejne ke bare main pata nahin tha. mujhe ye batane main koi sankoch nahin hai ki mera naam Ravi Rawat hai. main Mumbai ke ek bahut bade media group main Reporter hoon. ye alag baat hai ki main ek writer bhi hoon. milne ke bare main to mujhe pata nahin ki mulakaat hogi bhi ya nahin kyonki jab aapke paas waqt hoga to main busy rahoonga or jab mujhe fursat hogi to aap busy honge. aap jaise kum log is dunia main hain jo aise sahas bhare kaam karte hain. mujhe ummid hai ki aap is ladai main zaroor kamyaab honge. agar aap zaroori samjhe to mujhe net par hi manisha ji ki zindgi se judi daastan bhej sakte hain. javab ka intzaar rahega. ek baar phir Best Of luck for this moment...
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