क्या आपको जीवन के वे क्षण याद हैं जब आपको एकदम दौड कर बाथरूम की शरण में जाना पडा था. क्या वे क्षण याद हैं जब सारे बाथरूम भरे थे, एवं किसी के बाहर निकलने तक एक क्षण भारी हो रहा था.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यदि कई बाथरूम खाली हों, लेकिन अपकी इमर्जेन्सी के बावजूद कोई आपको घुसने न दे -- सिर्फ इस गलती के लिये कि आप पुरुष या स्त्री नहीं, महज एक मानव हैं. ऐसे मानवों के साथ कैसा क्रूर व्यवहार होत है यह बहुत कम लोग जानते हैं.
कुछ लोग में मनीषा बहन ने जो लिखा है उसे मैं दुहराना चाहता हूँ क्योंकि बहुत कम लोग पुराने आलेख पढते हैं:- हमे तो मुंबई में सार्वजनिक टायलेट तक में इसी प्राब्लम का सामना करना पड़ता है कि जेन्ट्स टायलेट में जाओ तो आदमी लोग झांक कर देखना चाहते कि हमारे नीचे के अंग कैसे हैं और लेडीज टायलेट में जाओ तो औरतें झगड़ा करती हैं । बस यही हमारी दिक्कते हैं जो हमें जिंदगी ठीक से नहीं जीने देतीं और हम अलग से हैं ।
ये भी मानव हैं मेरे आपके समान. कुछ नहीं करें तो कम से कम इनके जीने के अधिकार को न छीनें!!
2 टिप्पणियां:
बहुत कम लोग हैं जो ये बातें जानते हैं. जब तक आप लोग अपनी व्यथा जन जन तक नहीं पहुंचायेंगे तब तक यह अज्ञान बना रहेगा.
लिखते रहें!
सस्नेह -- शास्त्री
बाथरूम ही क्या लगभग हर सार्वजनिक स्थानों पर ऐसा ही हुआ करता है लेकिन यही तो संघर्ष है जिसके लिये हमने कमर कस ली है।
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