
दुनिया भर में फैलाए गये एक अलग किस्म के आतंकवाद को आज जश्न के रूप में मनाया जा रहा है। ये बौद्धिक आतंकवाद उस आतंकवाद से कहीं ज्यादा खतरनाक है जो कि बम और बारूद से फैलाया गया है। कुछ बरस पहले इसे एड्स नामक बीमारी की अवधारणा के रूप में शुरू करा गया था और अब ये पूरे संसार में जड़ें जमा चुका है। इसलिये इसी खुशी को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। जबकि यह बीमारी वैसी ही है कि अंधेरे में भूत रहता है। इस विषय में डा.रूपेश श्रीवास्तव ने तो इस पूरे आतंकवाद से अकेले ही टकराने की ठानी है और यदि कोई भी इस विषय में अधिक जानना चाहे तो उनके लिखे शोधपत्र की प्रति मंगवा कर पढ़ ले। एड्स एक अस्तित्त्वहीन बीमारी है जिसे बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से जमाया गया है।