अब धीरे-धीरे नये बच्चे जो स्वयंभू सभ्य समाज और लैंगिक विकलांगों के समुदाय की परंपराओं के बीच थपेड़े खा रहे थे अब वे अर्धसत्य के द्वारा नयी सोच से जुड़ रहे हैं। अब एक फैसला करा है हमने कि एक और परंपरा को तोड़ेंगे और वह भी पुरजोर घोषणा करके। सारे बच्चे अपने नाम के आगे हमारे मार्गदर्शक डा.रूपेश श्रीवास्तव का नाम जोड़ेंगे यह करारा तमाचा है उन बायोलाजिकल माता-पिता की सड़ी हुई सोच के गाल पर जिन्होंने हमें परंपराओं के चलते सड़कों पर धक्के खाने के लिये छोड़ दिया था यानि कि अब हमारे भाईसाहब सबके पिता घोषित कर दिये गये हैं और भाईसाहब को इस बात पर कोई परेशानी नहीं है।
सोमवार, 24 नवंबर 2008
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1 टिप्पणी:
आज आपके चिट्ठे पर आया तो इसका नया आवरण देख दिल प्रसन्न हो गया. यह नया अवारण बहुत अधिक पठनीय है.
डा रूपेश जैसे समर्प्तित व्यक्ति को आप सबने मिलकर जो पिता का स्थान दिया मैं उसका हार्दिक अनुमोदन करता हूँ.
समाज में बडे बडे परिवर्तन इस प्रकार के निर्णयों से मिलकर होते हैं.
इस प्रार्थना के साथ कि ईश्वर आप सब को दिनरात प्रगति का अवसर देते रहें!!
डा रूपेश के इस निर्णय का भी स्वागत करता हूँ कि सारी बहिनें उनके नाम को अपने साथ जोड सकती हैं.
सस्नेह -- शास्त्री
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